हर किसी को लोकतंत्र में सुने जाने का हक है, जरूर है, पर दूसरे के इस हक का छिछोरेपन से किया गया उल्लंघन उनको अपूरणीय क्षति भी पहुंचा सकता है।
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जिस भाषा के बड़ी पत्रिका का संपादक छिछोरेपन से छुटकारा न पाया हो और तिस पर ‘ स्त्री विमर्श ', ‘ दलित विमर्श ' उसके कलमदानों से निकल रहा हो.
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मीडिया छिछोरेपन से कब बाज़ आएगा, सिर्फ राहुल और प्रियंका को दिखाता है, अन्य पार्टियों को क्यों नहीं, चुनाव आयोग पक्षपात क्यों कर रहा है, मंत्री अपने पद की गरिमा क्यों नहीं समझ रहे, जनता के साथ, सत्ता का क्रूर मज़ाक कब बंद होगा, चाटुकार अपनी दुम हिलाना कब बंद करेंगे, भारत में हो रहा राजनैतिक-घटियापन, विदेशों में क्यों नहीं होता।
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मीडिया छिछोरेपन से कब बाज़ आएगा, सिर्फ राहुल और प्रियंका को दिखाता है, अन्य पार्टियों को क्यों नहीं, चुनाव आयोग पक्षपात क्यों कर रहा है, मंत्री अपने पद की गरिमा क्यों नहीं समझ रहे, जनता के साथ, सत्ता का क्रूर मज़ाक कब बंद होगा, चाटुकार अपनी दुम हिलाना कब बंद करेंगे, भारत में हो रहा राजनैतिक-घटियापन, विदेशों में क्यों नहीं होता।