ये दर्दनाक अनुभव बताते हैं कि सरकारें किसी भी कीमत पर आदिवासियों से सबकुछ छिन लेना चाहती हैं और यह सब सिर्फ और सिर्फ उद्योगपतियों के हितों का साधने के लिए हो रहा है।
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अनिल जी, आपका विश्लेषण १००% सहि हैबालकों पर एक ही विचारधारा थोंप देना बालविवाहसे कम जंघन्य नहीं है, उन्हें स्वतन्त्र रुप सेसोंचने का अवसर न देना या छिन लेना उनकी नैसर्गीक शक्तियों की ह्त्या है