हिंदी ग़ज़ल कतई नहीं. हर विधा जिस भाषा मे पैदा होती है, पलती है उसका लहज़ा और सूरत बैसी ही बन जाती है फिर उस से छेड़-छाड़ करना प्रयोग वाली बात हो जाती है.
12.
दोपहर का भोजन कर लेने के बाद मैं थोड़ी देर अवश्य लेटता हूँ कोई पूछता है, तो कह देता हूँ कि यह निद्रा नहीं भाई, तन्द्रा है, स्वास्थ्य को मैं उसे अपने आराम से चलने देता हूँ! चिकित्सकों से सलाह पूछकर उसमें छेड़-छाड़ करना मुझे ठीक नहीं जँचता।