केंचुल ' की स्त्री जहां पिता पर आसक्त है वहीं ‘ देहदंश ' की नायिका तूफान की तरह आ कर लौट जाने वाले पिता के जंगलीपन से आक्रांत है.
12.
सभ्य समाज मे जंगलीपन से ज़्यादा रचनात्मकता का मूल्य होता है, और स्त्री-के नाम पर जिन गुणो का यन्हा वर्णन है, उनका मूल्या सिर्फ़ एक सभ्य समाज मे हो सकता है.
13.
मैंने पीछा छुड़ाना है गर्व से ‚ एकाकीपन से ‚ जंगलीपन से ‚ एक साधारण जमीन पर तय करनी है अपनी प्रतिबद्धता ‚ और वापस लौटना है मानवीय कर्तव्यों के लिए एक शरणस्थल की तरफ़।
14.
वह नहीं जानता था वह कौन है, वह जहां वे पागल, उदास और जंगलीपन से उसे भीतर, डफ, एक आग हथौड़ा से छिद्रण हँसी की तुलना में कुछ भी नहीं की नहीं याद दिला रहे हैं, नहीं पता है...
15.
‘ आज हम जिस दौर में पहुंच गए हैं वो जंगल और जंगलीपन से ज्यादा भयावह है-जंगल के दरख्त भले ही सिमटकर बालकनी के गमलों में आ गए है-सभ्यता का विकास भी हुआ है-मगर मन के भीतर का जंगलीपन कबिलाई युग का है-'
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इंसान को उसके जंगलीपन से निकालकर एक सभ्य समाज बनाने में वस्त्रो की बहुत बड़ी भूमिका रही है. वस्त्रो से इंसान ने पहले नारी को ढका उसकी वजह ये है की नारी और मानव को पुरुष और प्रकृति का स्वरुप माना गया है और मुझे नहीं लगता की प्रकृति को अगर उसके वस्त्र (नदी पेड़ पौधे, पर्वत झील, जंगल..
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इंसान को उसके जंगलीपन से निकालकर एक सभ्य समाज बनाने में वस्त्रो की बहुत बड़ी भूमिका रही है. वस्त्रो से इंसान ने पहले नारी को ढका उसकी वजह ये है की नारी और मानव को पुरुष और प्रकृति का स्वरुप माना गया है और मुझे नहीं लगता की प्रकृति को अगर उसके वस्त्र (नदी पेड़ पौधे, पर्वत झील, जंगल..
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फिर भी सांप्रदायिक फासीवादी ताकतें जिनके हाथ में केंद्र की और कुछ राज्यों की सत्ता रही है जनवाद की सबसे बड़ी दुश्मन हैं क्योंकि संघी फासिस्ट विचारकों ने अपने लेखों और किताबों में अपनी इस दुश्मनी को साफ साफ लिखा है और हिटलर और मुसोलिनी को अपने गुरु के रूप में स्वीकार किया है जिन्होंने पूंजीवादी जनतंत्र का खात्मा करके नंगी पूंजीवादी तानाशाही कायम की थी और मानव सभ्यता को विश्व भर में अपने जंगलीपन से कलंकित किया था ।
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फिर भी सांप्रदायिक फासीवादी ताकतें जिनके हाथ में केंद्र की और कुछ राज्यों की सत्ता रही है जनवाद की सबसे बड़ी दुश्मन हैं क्योंकि संघी फासिस्ट विचारकों ने अपने लेखों और किताबों में अपनी इस दुश्मनी को साफ साफ लिखा है और हिटलर और मुसोलिनी को अपने गुरु के रूप में स्वीकार किया है जिन्होंने पूंजीवादी जनतंत्र का खात्मा करके नंगी पूंजीवादी तानाशाही कायम की थी और मानव सभ्यता को विश्व भर में अपने जंगलीपन से कलंकित किया था ।