भविष् यवाणियों का यूं सामान् यीकरण बहुत सारे ज् योतिष प्रेमियों को गलत लगता रहा है, पर ' गत् यात् मक ज् योतिष ' की मान् यता है कि प्रकृति के नियम बिल् कुल सामान् य ढंग से काम करते हैं, इन् हें समझने के लिए बेवजह जटिल बनाना उचित नहीं।
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जैसा कि, भारतीय महानगरों का चरित्र है, जगह-जगह जाम, लाल बत्ती का अनावश्यक रूप से ट्रेफ़िक की रफ़्तार को जटिल बनाना, साथ चलते आटो, टेक्सिओं की मारा-मारीअऔर उनमें सफ़रक रने वालों का चम्तकारी रूप से स्वतन्त्र होना, देश की स्वतन्त्रता मेम चार चांद लगाना आदि कितने ही ऐसे ही अज़ीबोगरीब करेक्टर हैं, जिन्हें स्वम ही अनुभव किया जा सकता है.