ख-कोई भी संपत्ति जो कि दत्तक ग्रहण करने के पूर्व दत्तक संतान की थी वह लगातार उसी की बनी रहेगी तथा उस संपत्ति के स्वामित्व के साथ जुड़े हुए तमाम दायित्व, जैसे उस के जन्म परिवार के रिश्तेदारों के भरण पोषण के दायित्व, दत्तक ग्रहण के पूर्व की भांति बने रहेंगे।
12.
जन्म, वैराग्य और दीक्षा-२२ अक्टूम्बर १ ९ ३ ४ शरद्पुर्निमा के दिन टिकेतनगर ग्राम (जिला बारांबकी, उत्तरप्रदेश) के श्रेष्ठी श्री छोटेलाल जैन की धरमपतनी श्रीमती मोहिनी देवी के दांपत्य जीवन के प्रथम पुष्प के रूम में “ मैना ” का जन्म परिवार में नविन खुशिया लेकर आया था माँ को दहेज़ में प्राप्त पद्मनंदिपंचविंशातिका ग्रन्थ के [...]