अत: जहालत के इन कलंकित चिन्हों को मिटाकर फिर से सांस्कृतिक प्रतिष्ठानों का निर्माण हो ऐसी प्रचंड जन इच्छा जाग्रत करने की आवश्यकता है।
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अभी मजबूत लोकपाल के प्रसंग में सत्ता और विपक्ष दोनों ने जन इच्छा को कुतुबमीनार पर टांग कर बता दिया कि जनता नहीं हमारा गिरोह ही देश का भाग्यविधाता है।
13.
जन इच्छा राम के लिए कितनी महत्वपूर्ण थी, यह एक साधारण से धोबी के कथन को अमल में लाने से ही पता चल जाता है कि राम लोक मूल्यों की रक्षा के लिए पत्नी सीता का आनन-फानन में ही परित्याग करने का ठोस, निर्मम व हृदयविदारक आत्मनिर्णय ले लेते हैं।