इसके अलावा, यह मेरे उन रविवार दोपहर पर गुप्त थोड़ा पनाहगाह है जब मेरे पति काम पर है और मैं एक महान नई किताब या अधिक जमघटा पत्रिका मिल गया है.
12.
एक हिंदू एक मुस्लिम यानि दो राजों का राज अहले इल्मो-फ़ज़्ल का था जमघटा हुक्म चलता था यहां शाहाने शरक़ी का कभी फिर हुकूमत हो गई शाही मुग़ल सुल्तान की दानिशो-हिकमत का यहां था ग़लग़ला
कद्दावर गवाले की धारीदार तहमद और बिस्कुटी खादी के कुरते पर बहते रंगों के बारीक बूटे! सीकिया सुकडू बिहारी डाकिये की मटमैली खाकी वरदी पर अबीर मिले हरे रंग का जमघटा! कर्नल साहब की पुरानी पैंट और कमीज़ में मुश्किल से समाते अधेड़ केहर सिंह के खिचड़ी बालों में ताजा फोड़े कच्चे अंडों का लेप! कर्नल साहब ने इशारे से मिसेज कपूर को अपने पास बुलाकर कहा, ” मैं समझता हूँ, अच्छा मौका है।
15.
यही सवाल मैं ब्लाग जगत के हरेक अदना और आला ब्लागर से पूछना चाहता हूं कि जो लोग जगह जगह घूमकर बेढब कविताओं पर तो वाह वाह करते हैं, द्विअर्थी चुटकुलों पर तारीफ़ की बरसात कर देते हैं बल्कि इससे भी आगे बढ़कर नफ़रत का ज़हर फैलाने वाली पोस्ट्स पर भी उनका जमघटा लगा रहता है लेकिन मेरी पोस्ट पर आते हुए उनका वुजूद थर्राने लगता है, कुछ का डर से और कुछ का नफ़रत और गुस्से से।