ऐसे आगंतुकों के लिए जो कम साहसिक कार्य-कलापों में अभिरुचि रखते हों, जैसे तटीय जल में नौकायन करने, मनमोहक एमरल्ड गुफा जैसे प्रसिद्ध दर्शनीय स्थलों के भ्रमण जहाँ केवल जल-मार्ग से ही जाया जा सकता है, ट्रांग का में एक विलक्षण अनुभव सिद्ध होगा।
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कहते हैं ऐसे ही स्पेन से कोलंबस ' भारत ' की खोज में पश्चिम दिशा में जल-मार्ग से गया तो अमेरिका की खोज कर पाया, और वेस्ट इंडीज़ में कुछ यहाँ नाखुश तत्कालीन कुली आदि कुछ भारतवासी भी पहुँच गए! और उनकी संतानें त्रिनिडाड, जमैका, आदि, नाइपौल जैसे, अपने पूर्वजों से भौतिक क्षेत्र में उच्चतर स्तर पर पहुँच गए, भले ही वो वर्तमान में भारत से नाखुश हों...
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किन्तु यह मुझे बाद में पता चला कि जो हमने स्कूल में वाक्य रटा, “ गु खा तसले में ”, बाद में भी समझने में सहायता करेगा कि कैसे मैदानी मार्ग से, खैबर पास होते हुए, गुलाम वंश से मुग़ल वंश तक, और इनके अतिरिक्त जल-मार्ग से भी अन्य विदेशी ताकतें भी, (अधिक ताकत के कारण), जिसे हम अपने भारत की भूमि कहते हैं, आसानी से यहाँ आ ' सोने कि चिड़िया ' पर (उसके पर नोचने?) आये और बसते चले गए...