स्थानिक कोशिकाओं की प्रतिक्रिया मुख्य हिप्पोकैम्पस में पिरामिड के आकार की कोशिकाओं द्वारा तथा डेंटेट जाइरस की कणिका आकार की कोशिकाओं द्वारा की जाती है.
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[18] स्थानिक कोशिकाओं की प्रतिक्रिया मुख्य हिप्पोकैम्पस में पिरामिड के आकार की कोशिकाओं द्वारा तथा डेंटेट जाइरस की कणिका आकार की कोशिकाओं द्वारा की जाती है.
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इस क्षेत्र को पोस्ट सेन्ट्रल जाइरस (post central gyrus) कहते हैं और इसकी कोशिकाओं में कई प्रकार के संवेदनों का अर्थ समझा जाता है।
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U के किनारे पर सीए4 क्षेत्र पीछे की तरफ मुड़ा हुआ, सुदृढ़ रूप से मुड़ी हुई V आकार की कोर्टेक्स के रूप में अंतःस्थापित होता है, जिसे देन्ताते जाइरस कहते हैं.
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के आकर में विकृत नही होती हैं या देंताते जाइरस द्वारा निमग्न नहीं होती हैं, लेकिन गहरी रासायनिक और क्रियात्मक समानता के द्वारा इनकी होमोलौजी (एक ही जनक से उत्पत्ति) के संकेत मिलते हैं.
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उदाहरण के लिए, प्यार की भावना को स्तनधारी के मस्तिष्क के पेलियोसर्किट की अभिव्यक्ति माना जाता है (विशेष रूप से सिंगुलेट जाइरस मॉड्यूल की), जिससे देखभाल, भोजन कराने और सोंदर्य जैसी भावनाओं का बोध होता है.
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उदाहरण के लिए, प्यार की भावना को स्तनधारी के मस्तिष्क के पेलियोसर्किट की अभिव्यक्ति माना जाता है (विशेष रूप से सिंगुलेट जाइरस मॉड्यूल की), जिससे देखभाल, भोजन कराने और सोंदर्य जैसी भावनाओं का बोध होता है.
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हिप्पोकैम्पस के निकट स्थित कोर्टिकल क्षेत्र को सामूहिक रूप से पैराहिप्पोकैम्पल जाइरस (अथवा पैराहिप्पोकैम्पस) कहते हैं.[37] इनमें ईसी तथा पेरीराइनल कोर्टेक्स भी शामिल हैं, इसका नाम इस तथ्य पर आधारित है कि यह राइनल सल्कस के निकट पाया जाता है.
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यह देखने में हिप्पोकैम्पस जैसा नहीं दिखता क्योंकि इसकी पर्तें S के आकर में विकृत नही होती हैं या देंताते जाइरस द्वारा निमग्न नहीं होती हैं, लेकिन गहरी रासायनिक और क्रियात्मक समानता के द्वारा इनकी होमोलौजी (एक ही जनक से उत्पत्ति) के संकेत मिलते हैं.
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में होती हैं और सबिक्युलम को “भेदती” हैं व देन्ताते जाइरस में सघन रूप से विद्यमान कनिका रुपी कोशिकाओं को प्रोजेक्ट करती हैं, सीए3 के एपिकल डेन्ड्राइट को कम सघन प्रोजेक्शन प्राप्त होता है, तथा सीए1 के एपिकल डेन्ड्राइट बहुत कम प्रोजेक्शन प्राप्त कर पाते हैं.