बच्चों को उसका रैणी के कंधे से सिर पर उछलकर जा बैठना या जमीन पर लेटे रैणी के सिर से जूं बीनकर चबाने की क्रिया बहुत पसंद आने लगी।
12.
इसलिए किसी प्रकार की सामर्थ्य या शक्ति प्राप्त करके एकांत में जा बैठना और उसका उपयोग समाज के हित के लिए न करना स्पष्टतः अपने कर्तव्यपालन से विमुख होना ही है।
13.
छोैड़ते ही न थे, यहां तक कि निर्मला के साथ चलने को तैयार हो गये, लेकिन विवाह से एक महीने पहले उनका ससुराल जा बैठना निर्मला को उचित न मालूम हुआ।
14.
बिना किसी बाहरी सहायता के इन गोलियों का कभी सतह तक ऊपर उठ आना तो कभी तली में जा बैठना भला किसे आकर्षित नहीं करेगा और इसके कारण का एक बार पता लग जाने पर भला इसे जिन्दगी में क्या कभी फिर भूला जा सकता है?
15.
नम आँखे लिए झेल गई थी किंतु फिर साहिल की दिनचर्या में शुमार हो गया था शाम को दफ्तर से आने के बाद माता-पिता के पास जा बैठना और उसके बाद कुछ देर बच्चों के कमरे में बैठकर नहाने चले जाना और खाना खाकर सोने चले जाना।
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बिना किसी बाहरी सहायता के इन गोलियों का कभी सतह तक ऊपर उठ आना तो कभी तली में जा बैठना भला किसे आकर्षित नहीं करेगा और इसके कारण का एक बार पता लग जाने पर भला इसे जिन्दगी में क्या कभी फिर भूला जा सकता है?
17.
पर उसी पक्षी की भाँति उसका मन फडफ़ड़ा रहा था और ऊँची डाल पर उन्मुक्त वायु-मण्डल में उडने की शक्ति न पाकर उसी पिंजरे में जा बैठना चाहता था, चाहे उसे बेदाना, बेपानी, पिंजरे की तीलियों से सिर टकराकर मर ही क्यों न जाना पड़े।
18.
पर उसी पक्षी की भाँति उसका मन फड़फड़ा रहा था और ऊँची डाल पर उन्मुक्त वायु-मंडल में उड़ने की शक्ति न पाकर उसी पिंजरे में जा बैठना चाहता था, चाहे उसे बेदाना, बेपानी, पिंजरे की तीलियों से सिर टकराकर मर ही क्यों न जाना पड़े।
19.
वो बेख्याली में आ जाना परेशान करती, सूरज की किरणों के बीच और मेरे चेहरे से उछल कर तुम्हारे काँधे पर जा बैठना खरगोश के छौने सा उस धूप के टुकड़े का जरा सी तेज आवाज और हडबडा कर, उड़ जाना उस पतली डाल से झूलती बुलबुल का
20.
वो बेख्याली में आ जाना परेशान करती, सूरज की किरणों के बीच और मेरे चेहरे से उछल कर तुम्हारे काँधे पर जा बैठना खरगोश के छौने सा उस धूप के टुकड़े का जरा सी तेज आवाज और हडबडा कर, उड़ जाना उस पतली डाल से झूलती बुलबुल का