| 11. | नीलाभ जी, आपके प्रिय कवि को ही याद करते हुए “सुलतानी जिरहबख्तर बना है सिर्फ मिट्टी का,
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| 12. | अपना घर-अपनी बात जरूर कहूंगा कि आप रोज रात को जिरहबख्तर कसकर तथा हेलमेट लगाकर ही सोवें।
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| 13. | @अजित भाईखेतैखेत भागते हुए जबड़ों का दर्द छू हुआ, शब्दों का शौर्य जिरहबख्तर का मोहताज़ कहां?:)
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| 14. | बामुश्किल तुम अपने चारों तरफ एक जिरहबख्तर बनाते हो…खुद को मजबूत बनाते हुए, ताकि तुम्हें कुछ आहत न कर सके.
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| 15. | मुग़ल सेना, तोपखाने और जिरहबख्तर से सुसज्जित घुड़सवार सेनाओं के होते हूए भी गोकुलसिंह पर विजय प्राप्त न कर सके.
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| 16. | @अजित भाई खेतैखेत भागते हुए जबड़ों का दर्द छू हुआ, शब्दों का शौर्य जिरहबख्तर का मोहताज़ कहां?:)
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| 17. | मुग़ल सेना, तोपखाने और जिरहबख्तर से सुसज्जित घुड़सवार सेनाओं के होते हूए भी गोकुलसिंह पर विजय प्राप्त न कर सके.
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| 18. | वो कौन सा जिरहबख्तर है जिसे मां एक बार पहनने के बाद ताउम्र नहीं उतारती....मसलन......आगे वे लिखती है......
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| 19. | जिरहबख्तर (जालिका, चेने मेल) सुंदर और सुविधाजनक अवश्य था, पर भारी शस्त्रों की चोट से पूर्णतया रक्षा नहीं कर सकता था।
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| 20. | जिरहबख्तर और लोहे की टोपी तीर-तुपक से रक्षा कर सकते हैं लेकिन पहाड़ तो उसे उन सब चीजों के साथ कुचल डालेगा।
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