मरदाने, आँगन के पास एक बड़ा कमरा था जिसमें बन्दूकें तलवारें, बरछियाँ लाठियाँ लालटेनें, मशालें रखी रहती थीं और दीवार पर दो जिरह-बख्तर और एक ढाल टँगी रहती थी।
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पर वह पुराने दिन नहीं भूलते दिल्ली के जब दिसम्बर की कड़कड़ाती सर्दियों में जिरह-बख्तर से लैस हो कर इस नामुराद (प्यार से कहा है) चीज का स्वाद लिया जाता था।
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तभी उनकी बाईं बाँह मेरे कन्धे पर टिक जाती हैं, उँगलियाँ इधर-उधर रेंगने लगती हैं, और कुछ देर बाद माँ के पहनाए गए जिरह-बख्तर में आजाद होने के बाद मैं सामने झूलते हुए सफलता के उस रेशमी परिधान को देखती हूँ।'
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ध्यान रहे, समूचे यहूदी समाज के संरक्षणकर्ता होने के भाव का ही एक रूप योद्धाओं द्वारा पहने जाने वाले जिरह-बख्तर यानी एक किस्म के अंगरखा में नजर आता है, जिसमें सीने की रक्षा के लिए लोहे की पट्टियां लगी होती थीं।
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तभी उनकी बाईं बाँह मेरे कन्धे पर टिक जाती हैं, उँगलियाँ इधर-उधर रेंगने लगती हैं, और कुछ देर बाद माँ के पहनाए गए जिरह-बख्तर में आजाद होने के बाद मैं सामने झूलते हुए सफलता के उस रेशमी परिधान को देखती हूँ।
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नाजुक, कोमल माओवादी के साथ सुर मिलाना और भी श्रेयस्कर है और माओवादियों को चाहिए ही क्या? ” भूल गलती बैठी है जिरह-बख्तर पहन कर तख्त पर दिल के / चमकते हैं खड़े हथियार उसके / आँखें चिलकती हैं सुनहरी तेज पत्थर सी..
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नाजुक, कोमल माओवादी के साथ सुर मिलाना और भी श्रेयस्कर है और माओवादियों को चाहिए ही क्या? “भूल गलती बैठी है जिरह-बख्तर पहन कर तख्त पर दिल के / चमकते हैं खड़े हथियार उसके / आँखें चिलकती हैं सुनहरी तेज पत्थर सी..! है सब खामोश / इब्ने सिन्ना, अलबरूनी दढ़ियल सिपहसलार सब ही खामोश हैं।
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तभी उनकी बाईं बाँह मेरे कन्धे पर टिक जाती हैं, उँगलियाँ इधर-उधर रेंगने लगती हैं, और कुछ देर बाद माँ के पहनाए गए जिरह-बख्तर में आजाद होने के बाद मैं सामने झूलते हुए सफलता के उस रेशमी परिधान को देखती हूँ।'‘जाँच अभी जारी है' कहानी में ममता कालिया ने स्त्री-उत्पीडन की व्यथा को बहुत ही मार्मिकता के साथ व्यक्त किया है।
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तभी उनकी बाईं बाँह मेरे कन्धे पर टिक जाती हैं, उँगलियाँ इधर-उधर रेंगने लगती हैं, और कुछ देर बाद माँ के पहनाए गए जिरह-बख्तर में आजाद होने के बाद मैं सामने झूलते हुए सफलता के उस रेशमी परिधान को देखती हूँ।' 'जाँच अभी जारी है' कहानी में ममता कालिया ने स्त्री-उत्पीडन की व्यथा को बहुत ही मार्मिकता के साथ व्यक्त किया है।