में डा. हरगोविंद खुराना ने आनुवंशिक संकेत (जेनेटिक कोड) सिद्धांत का प्रतिपादन करके नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया जिसके अनुसार व्यक्ति का आचरण उसके जीन समूह की बनावट पर निर्भर करता है और जीन समूह की बनावट वंशपरंपरा के आधार पर होती है।
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में डा. हरगोविंद खुराना ने आनुवंशिक संकेत (जेनेटिक कोड) सिद्धांत का प्रतिपादन करके नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया जिसके अनुसार व्यक्ति का आचरण उसके जीन समूह की बनावट पर निर्भर करता है और जीन समूह की बनावट वंशपरंपरा के आधार पर होती है।
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में डा. हरगोविंद खुराना ने आनुवंशिक संकेत (जेनेटिक कोड) सिद्धांत का प्रतिपादन करके नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया जिसके अनुसार व्यक्ति का आचरण उसके जीन समूह की बनावट पर निर्भर करता है और जीन समूह की बनावट वंशपरंपरा के आधार पर होती है।
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इस प्रोजेक्ट से जुड़े प्रमुख वैज्ञानिक और न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर माइक आर्चर ने बताया कि हमने मृत कोशिकाओं को सक्रिय करके उन्हें जीवित कोशिकाओं में बदल दिया और इस प्रक्रिया में विलुप्त मेंढक के जीनोम (जीन समूह) को पुनर्जीवित कर दिया।
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शोधकर्ताओं ने कहा है कि यह जीन समूह कमर के आसपास रहता है और इससे दो किलोमीटर तक वज़न वहाँ जमा हो जाता है और इसी वजह से शरीर पर इंसुलिन का असर होना बंद हो जाता है और इससे टाइप-2 डायबटीज़ होने का रास्ता खुल जाता है.