******************************** जला देनी है वे किताबें ; जो कहती है तुम कोमल, निर्बल और कमजोर हो, तुम कली नहीं ; तुम फूल नहीं ; तुम प्रस्तर सम कठोर हो, आंसू से नम इन पलकों को बस लक्ष्य पर टिक जाना है, हे स्त्री! तुझको अब चौखट के बाहर आना है ।
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********************************जला देनी है वे किताबें ;जो कहती है तुम कोमल, निर्बल और कमजोर हो,तुम कली नहीं ;तुम फूल नहीं ;तुम प्रस्तर सम कठोर हो,आंसू से नम इन पलकों को बस लक्ष्य पर टिक जाना है,हे स्त्री सूचना सभी नये सदस्यों से अनुरोध हैं कि इस ब्लॉग पर केवल नारी आधारित विषयों पर ही कविता पोस्ट करे ।