बहरहाल, विपक्ष द्वारा संसद की कार्रवाई को ठप्प करना न केवल राजनैतिक अस्थिरता पैदा करने की कोशिश है, बल्कि जन समस्याओं से मुँह मोड़ना भी है.
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संसद या विधायिका में होने वाला शोर-शराबा या ठप्प करना आम जनता के पैसे का दुरुपयोग तो है ही समयबद्द कानून निर्माण की प्रक्रिया में भी बड़ी बाधा है.
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आज सबसे बड़ी जरूरत यह है कि संसद की गरिमा को कैसे बनाकर रखा जाए जबकि अधिकांश सांसद और खासकर विपक्ष के सांसद सुर्खियों में आने का शार्टकट हंगामा करना, शोरगुल करना और सदन की कार्यवाही को ठप्प करना समझने लगे हैं।
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ऐसे में पेशे से वकील एक और मंत्री सलमान खुर्शीद चाटुकारिता स्पर्धा में कैसे पीछे रह जाते? सो, उन्होंने फरमाया कि मनमोहन सिंह का प्रधानमंत्री होना देश का सौभाग्य है और कोयला घोटाले में उनका इस्तीफा मांगते हुए विपक्ष द्वारा संसद ठप्प करना दुर्भाग्यपूर्ण।