अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो, कि दास्ताँ आगे और भी है अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो! अभी तो टूटी है कच्ची मिटटी, अभी तो बस जिस्म ही गिरे हैं अभी तो किरदार ही बुझे हैं अभी सुलगते हैं रूह के ग़म, अभी धडकते हैं दर्द दिल के अभी तो एहसास जी रहा है ये लौ बचा लो जो थकके किरदार की हथेली से गिर पड़ी है ये लौ बचा लो यहीं से उठेगी जुस्तजू फिर बगूला बन कर यहीं से उठेगा कोई किरदार फिर इसी रौशनी को लेकर कहीं तो अंजाम-ओ-जुस्तजू के सिरे मिलेंगे अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो!
12.
अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो, कि दास्ताँ आगे और भी है अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो! अभी तो टूटी है कच्ची मिटटी, अभी तो बस जिस्म ही गिरे हैं अभी तो किरदार ही बुझे हैं अभी सुलगते हैं रूह के ग़म, अभी धडकते हैं दर्द दिल के अभी तो एहसास जी रहा है ये लौ बचा लो जो थकके किरदार की हथेली से गिर पड़ी है ये लौ बचा लो यहीं से उठेगी जुस्तजू फिर बगूला बन कर यहीं से उठेगा कोई किरदार फिर इसी रौशनी को लेकर कहीं तो अंजाम-ओ-जुस्तजू के सिरे मिलेंगे अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो!