उदाहरण के लिए ' अँगारों पर लोटना ', ' आँख मारना ', ' आँखों में रात काटना ', ' आग से खेलना ', ' खून चूसना ', ' ठहाका लगाना ', ' शेर बनना ' आदि में लक्षणा शक्ति का प्रयोग हुआ है, इसीलिए वे मुहावरे हैं।
12.
किसी की शोक सभा में दो मिनट के मौन के दौरान शांत बने रहने की जगह किसी का ठहाका लगाना मृतात्मा की शांति में खलल भले ही न डालता हो, डाल भी नहीं सकता चूंकि कहते हैं नश्वर शरीर का त्याग करते ही वह तो फिर से राग-द्वेष और तमाम सांसारिक लोक व्यवहारों, अपेक्षाओं से परे चली जाती है, मगर उस ठहाके से उस सभाभवन में निर्मित हो चुका संवेदना का वातावरण तो व्याधित होता ही होता है।
13.
§ उदाहरणार्थ, ‘‘ अंगारों पर लोटना ', ‘ आँख मारना ', ‘ आँखों में रात काटना ', ‘ आग से खेलना ', ‘ आसमान पर दीया जलाना ', ‘ दूध-घी की नदियां बहाना ', ‘ खून चूसना ', ‘ चैन की वन्शी बजाना ', ‘ ठहाका लगाना ', ‘ लम्बी बांह होना ', ‘ विजय का डंका बजाना ' और शेर बनना ' आदि में लक्षणा शक्ति का प्रयोग हुआ है।