से मैं इन्हें देख सकता हूँ ' उत्तरस्वरूप श्री महाराज श्री ने समझाया-बिलकुल ठीक! इसी प्रकार वह ईश्वर भी इस सम्पूर्ण संसार व आपके भीतर समाया हुआ है।
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यह महाशतक गिनती का कौनसा आंकड़ा है पता नहीं! बाज़ार चाहे जो बोले वही ठीक! मुंबई में वेस्टइंडीज के साथ बीसीसीआई की टीम का पांच दिवसीय मैच चल रहा था।
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हाय! हमारा आशीर्वाद मिथ्या हो जायेगा/ तभी एक और विचार मेरे दिमाग मे जबरदस्ती घुस आया कि पता नही ये छिपकली है भी या छिपकला/ नर है या मादा/ मादा है तो ठीक!
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आप वह खायेंगी जो मैं खाऊंगी! टोस्ट बटर, दलिया, दूध, फल! वह सब नहीं!” ठीक! शीला के दिमाग में सवाल उठा कि रोज रोज जो बासी रोटियां या परांठे बच जाते हैं, उनका क्या हो?
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सच तो यह है इस आधुनिक युग में भी हम कविलियाई संस्कृति से मुक्त नहीं हुए हैं ' आप ब्राह्मण, मैं भी ब्राह्मण आप कायस्थ, मैं भी कायस्थ-अब ठीक! अब ढपली ठीक बजेगी! आज भी हमारे यही विचार हैं.
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आपकी यह टिप्पणी प्रकाशित नहीं कर रहा, आपका संदेश मुझ तक पहुंचना था पहुंच गया, ठीक! मेरा एक निवेदन है, प्रवचन देने में जल्दबाज़ी ना करें, आप चार माह से ब्लागिंग कर रहे होंगे हम साढे चार साल से हिंदिनी चला रहे हैं!
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किन्तु, यदि कुँवारी हुई तो उसे सौभाग्यवती का आशीर्वाद कैसे? हाय! हमारा आशीर्वाद मिथ्या हो जायेगा/ तभी एक और विचार मेरे दिमाग मे जबरदस्ती घुस आया कि पता नही ये छिपकली है भी या छिपकला/ नर है या मादा/ मादा है तो ठीक! किन्तु, नर को सौभाग्यवती होने की जरूरत क्या? नर तो खुद ही किसी नारी के इर्द-गिर्द नारा बनके अपने सौभाग्य पर इठलाता रहता है/ हाय! मैने पहली बार आशीर्वाद दिया, वो भी त्रिशंकू की तरह मझधार मे लटक गया/ हाय! मैने आशीर्वाद क्यो दिया?