कलिसिया को यदि ठीक रीति से कार्य करना है, तो उसकी “देह के सभी अंगों” को उपस्थित होने की आवश्कता है (कुरिन्थियो 12:14-20)।
12.
जैसा कि 1 कुरिन्थियों 12: 13 के सन्दर्भ में ब्यान किया गया है हमें अपने आत्मिक वरदानों का उपयोग इसलिए करना चाहिए जिससे देह ठीक रीति से कार्य करती रहे ।
13.
मैं आपको उत्साहित करने के लिए यह कह रहा हूं कि ठीक रीति से मसीह के समान आचरण का होना, गलत कामों के साथ एक जीवन पर्यन्त संघर्ष है, और मसीह के समान बौद्धिक परिवर्तन बुरे विचारों के साथ एक जीवन पर्यन्त संघर्ष है।
14.
क्या यह मजाकिया बात है कि उसकी जि़न्दगी का अधिकांश, भूत-भविष्य के एक ऐसे कालखंड के कल्पनालोक में बीत रहा है जहाँ वह जीते जी पहुँच ही नहीं सकता कभी? मै तो कहूँगा कि यह जीवन रूपी प्रदान की गयी वस्तु का अपव्यय है क्योंकि इस तरह वह वर्तमान को ठीक रीति से जी नहीं पाता।