इस दौरान होने वाले टकराव में संकोची और संवेदनशील मानी जाने वाली नाग का आत्मरक्षा के लिए आक्रामक होकर डंसना मनुष्य और अन्य जीवों के लिए प्राणघातक होता है।
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उनकी बात में श्लेष है और हंसी में चमक नहीं यमक उनके हंसते ही प्रकट हो जाता है श्लेष में छिपा द्वेष और हंसना का अर्थ डंसना हो जाता है।
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डंसना तो सांप की आदत है और वह इस आदत से मजबूर था, लेकिन इन्सान ने यह काम जानबूझकर किया, इसलिये उसे अधिक नीच समझा जाना चाहिये! नौबत यहां तक आ पहुंची कि देश और कौम के लिये सशस्त्र हो मैदाने-जंग में शहीद हो जाने वाले बहादुर भी पापी समझे जाने लगे।
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श्लेष-यमक बहुत पहुंची हुई कलाकार है वह बहुत आग है उसके भीतर इतनी अधिक कि कभी बुझती ही नहीं जितना पानी डालो उतनी ही भड़कती है और न डालो तो बुझने का सवाल ही नहीं कहते हैं और हंस देते हैं बुद्धिजीवी उनकी बात में श्लेष है और हंसी में चमक नहीं यमक उनके हंसते ही प्रकट हो जाता है श्लेष में छिपा द्वेष और हंसना का अर्थ डंसना हो जाता है।
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एक बात पूछूं, उत्तर दोगे तब कैसे सीखा डंसना विष कहां से पाया? पुल जो पुल बनाएंगे वे अनिवार्यत: पीछे रह जाएंगे सेनाएं हो जाएंगी पार मारे जाएंगे रावण जयी होंगे राम जो निर्माता रहे इतिहास में बंदर कहलाएंगे...बहक रहे हैं सभी कदम गीतकार बनज कुमार बनज का यह मधुर गीत जयपुर से प्रकाशित हिंदी दैनिक समाचार पत्र डेली न्यू•ा के 30 अक्टूबर को प्रकाशित रविवारीय परिशिष्ट हमलोग में छपा है।