पृष्ठरज्जु मुख्यत: डिंभक के पुच्छ भाग में, जो वयस्क अवस्था में क्रमश: लुप्त हो जाता है, सीमित होता है।
12.
अब डिंभक और बीज में एकत्रित भोज्य सामग्री के बीच अंडाशय की भित्ति की केवल थोड़ी सी ही कोशिकाएँ शेष बची रहती हैं।
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अब डिंभक और बीज में एकत्रित भोज्य सामग्री के बीच अंडाशय की भित्ति की केवल थोड़ी सी ही कोशिकाएँ शेष बची रहती हैं।
14.
इस डिंभक का विकास जब पूरा हो जाता है, तो वह महीन धागे का एक कोष बना लेता है और उसमें विश्राम करता है।
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इस डिंभक का विकास जब पूरा हो जाता है, तो वह महीन धागे का एक कोष बना लेता है और उसमें विश्राम करता है।
16.
कुछ समय बाद इधर कीट के अंडे, डिंभक आदि तैयार होते हैं और उधर अनेक बीजांड निषेचित होकर मुलायम बीज के रूप में तैयार हो जाते हैं।
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कुछ समय बाद इधर कीट के अंडे, डिंभक आदि तैयार होते हैं और उधर अनेक बीजांड निषेचित होकर मुलायम बीज के रूप में तैयार हो जाते हैं।
18.
रेशम प्राप्त करने के लिए इस कोष को गरम पानी में डालकर डिंभक को मार दिया जाता है और उसके कोष के धागे को उतार लिया जाता है।
19.
रेशम प्राप्त करने के लिए इस कोष को गरम पानी में डालकर डिंभक को मार दिया जाता है और उसके कोष के धागे को उतार लिया जाता है।
20.
इनके बच्चे अंडे या कृमि कोष से डिंभक (लारवल) (सेता हुआ नया कृमि) के रूप में बढ़ते हुए त्वचा, मांसपेशियां, फेफड़ा या आंत(आंत या पाचन मार्ग) के उस ऊतक (टिशू) में कृमि के रूप बढ़ते जाते हैं जिसे वे संक्रमित करते हैं।