हृदय में थक्का बनने से रोकने के लिए एलियबसिपा, लैकेसिस, डिजिटेलिस, एकोनाइट आदि दवाएं बेहद प्रभावी हैं लेकिन ध्यान रहे कि होम्योपैथिक चिकित्सक से परामर्श के बिना दवाएं न लें।
12.
वस्तु के ऊपर का भाग सही प्रकार से न दिखे दे और नीचे का भाग सही प्रकार से दिखाई दे तो रोगी को डिजिटेलिस औषधि की 30 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करना चाहिए।
13.
डिजिटेलिस परप्यूरा ' नामक पौधे से प्राप्त व बादमें कृत्रिम संश्लेषण से बनी ' डिमॉक्सिन ' नामक पाश्चात्य औषधि से तुलना करते हुए वे लिखते हैं कि अर्जुन हृदय के विराम काल को बढ़ाते हुए उसे बल भी पहुँचाता है तथा शरीर में संचित नहीं होता ।
14.
रोगी के पूरे शरीर में सूजन आ जाने के कारण त्वचा का रंग नीला पड़ जाना, दिल की आवरण वाली श्लैष्मिक झिल्ली में या छाती में पानी भर जाना, पेट में पानी भर जाना आदि छाती में पानी भर जाने के रोग के लक्षणों में डिजिटेलिस औषधि की मूलार्क या 3 शक्ति देने से लाभ मिलता है।
15.
नाड़ी कमजोर, चंचल और विषम गतिवाली होना, सांस लेने में परेशानी होना, चेहरे का बिल्कुल मुरझा जाना, पीठ के बल बिल्कुल भी न सो पाना, हृत्पिण्ड की क्रिया का खराब हो जाना, पेशाब की ग्रंथि में रोग के कारण सूजन आना आदि इस प्रकार के लक्षणों में रोगी को डिजिटेलिस औषधि की 3 x मात्रा का सेवन करना चाहिए।