आखिर में मैंनें लगभग 250 पृष् टों के डिमाई साईज के इस उपन् यास को शुरू से अंत तक पढ़ा.
16.
' ' डिमाई आकार के 162 पृष्ठीय ' प्रेरणा ' का यह अंक अपनी रूप-सज्जा और सुन्दर मुद्रण के कारण विमुग्धकारी है।
17.
एक मशवरा यह जरूर देना चाहूँगा कि डिमाई साइज में भी पेपरबैक में यह पुस्तक कुछ कम दामों पर भी उपलब्ध करवाएं।
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हर्षातिरेक से सुंदर और सता संगीत और डिमाई करामाती और कामुक रंग पैलेट, अभी तक न तो पूरी तरह से काम पर यहाँ अनूठा जादू बताते हैं.
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१९६२ में विश्व का सबसे बड़ा साक्षात्कार ‘‘समय और हम” डिमाई आकार में ६४८ पृष्ठों में प्रकाशित हुआ जो वीरेन्द्र कुमार मिश्र ने श्री जैनेन्द्र कुमार से लिया था।
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डिमाई दृश्य शैली यथार्थवादी नहीं हो सकता है, लेकिन उसकी चालाकी बस मानव कहानी बताया जा रहा है, साधारण जीवन की तीव्रता का एक पावती को बढ़ाता है हो सकता है.