डेंगू ज्वर से पीड़ित रोगी का मुंह लाल हो जाता है तथा उसके पूरे शरीर पर छोटी-छोटी फुन्सियां-सी निकलने लगती हैं।
12.
डेंगू ज्वर से पीड़ित रोगी को पूर्ण रूप से विश्राम करना चाहिए तथा इसके बाद अपना इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से कराना चाहिए।
13.
डेंगू ज्वर को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को तब तक उपवास रखना चाहिए जब तक कि उसका बुखार दूर न हो जाए।
14.
डेंगू ज्वर से पीड़ित रोगी को सूर्यतप्त नीली बोतल का पानी दो-दो घंटे पर 25 मिलीलीटर की मात्रा में पिलाने से बुखार जल्दी ठीक हो जाता है।
15.
यदि डेंगू ज्वर से पीड़ित व्यक्ति को बुखार के कारण ठण्ड लग रही हो तो उसके पास में गर्म पानी की बोतल रखकर कम्बल ओढ़ा देना चाहिए।
16.
डेंगू ज्वर शरीर में दूषित द्रव्य के जमा हो जाने के कारण होता है और यह कई एक प्रकार के मच्छर के काटने से अधिक होता है।
17.
वैसे तो डेंगू ज्वर के दौरान आने वाला बुखार 2-3 दिनों में ठीक हो जाता है लेकिन 3-4 दिनों के बाद यह बुखार वापस आ जाता है।
18.
लगभग एक ग्राम से कम की मात्रा में अंकोल की जड़ की छाल को घोड़बच या सोंठ के साथ चावल के माण्ड में उबालकर रोजाना सेवन करने से डेंगू ज्वर में लाभ मिलता है।
19.
आंत्रिक ज्वर, विषम ज्वर (मलेरिया), वात श्लैष्मिक ज्वर, डेंगू ज्वर, क्षय रोग, आमवात, अंशुघात (लू लगना) प्लेग आदि रोग के कारण ज्वर की उत्पत्ति होती है।
20.
डेंगू ज्वर से पीड़ित रोगी को दूध नहीं पीना चाहिए लेकिन यदि उसे दूध पीने की इच्छा हो तो इसमें पानी मिलाकर हल्का कर लेना चाहिए तथा उसमें 1 चम्मच शहद मिलाकर पीना चाहिए, इसमें चीनी बिल्कुल भी नहीं मिलानी चाहिए।