शीघ्र ही डैप्सोन (dapsone) के प्रति प्रतिरोधी कुष्ठरोग दण्डाणु विकसित हो गया और डैप्सोन (dapsone) के अति-प्रयोग के कारण यह व्यापक रूप से फैल गया.
12.
इसके बाद, भारतीय वैज्ञानिक शांताराम यावलकर (Shantaram Yawalkar) और उनके सहयोगियों ने राइफैम्पिसिन (rifampicin) और डैप्सोन (dapsone) का प्रयोग करके एक संयुक्त उपचार का सूत्रण किया, जिसका लक्ष्य जीवाण्विक प्रतिरोध को घटाना था.