| 11. | तगर के हरे मूल को गो तक्र मे उबल कर पिने से मिटता हे
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| 12. | तगर । नत । वक्र से कहते हैं । चोच । त्वच । वरांड्ग्क ।
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| 13. | शरीर पर सफ़ेद चन्दन, रक्त चन्दन, अगर, तगर आदि सुगंधी द्रव्यों का लेप करना चाहिए.
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| 14. | न चंदन की, न तगर की, न चमेली की, न बेला की।
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| 15. | तगर, बच तथा कूट सिरस के बीज, मुलहठी हींग लहसुन का रस इन्हें एक बार
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| 16. | बुद्ध कहते हैं, ‘ तगर या चंदन की यह जो गंध है, अल्पमात्र है।
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| 17. | लड़कियों को अंग्रेज़ी पढ़ाने के विरोधी समाज के कारण तगर का जीवन स्तब्ध रह गया था।
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| 18. | ‘ न तगर की, न चमेली की, न चंदन की, न बेला की।
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| 19. | तगर फूल की तरह ही निष्पाप, निष्कलुष तथा रूप-गुणों में अति सुन्दर है।
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| 20. | तगर, कूठ और तालीस पत्र को पीसकर बनाया हुआ उबटन लगाना पुरुष को सुंदर बना देता है.
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