एकाग्रता की आवश्यकता सर्वप्रथम प्रशिक्षक बालकों को कहानी सुनाता है-एक आदमी जापानी तत्त्ववेत्ता के पास गया।
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कप भर गया तथा चाय कप से नीचे गिरने लगी, फिर भी तत्त्ववेत्ता चाय डालता ही रहा।
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खोजते-खोजते वेदांत को जाननेवाले तत्त्ववेत्ता महापुरुष आखिर इस बात पर सहमत हुए कि यह सृष्टि ईश्वर का विवर्त है।
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हमारे तत्त्ववेत्ता पूज्यपाद ऋषियों ने महान उद्देश्यों को लक्ष्य बनाकर अनेक पर्वों तथा त्यौहारों के दिवस नियुक्त किये हैं।
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तब तक तुम्हारा ज्ञान इतना हो जाएगा जितना कि युग परिवर्तन और नव-निर्माण के लिए किसी तत्त्ववेत्ता के पास होना चाहिए।
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तत्त्ववेत्ता अनादिकाल से नारी का ऐसा ही मूल्यांकन करते रहे हैं और जन-जन को उसकी अभ्यर्थना के लिए प्रेरित करते रहे हैं।
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) यात्री ने तत्त्ववेत्ता का हाथ पकड़ कर कहा-‘‘ यह आप क्या कर रहे हैं? चाय तो व्यर्थ जा रही है।
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जो तत्त्ववेत्ता हैं, जीवन की अनुभूति से सम्पन्न हैं, उन सबका मानना है कि हम सब शक्ति से ही उपजे हैं।
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तत्त्ववेत्ता, अन्तर्ज्ञानी एवं महान् योगी याज्ञवल्क्य इस पर हल्के से मुस्कराए और कहने लगे बाह्य यज्ञ प्रयोग की भांति आन्तरिक यज्ञ प्रयोग भी विशिष्ट हैं।
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ये सब ऋषिगण हमेशा कहा करते थे कि महान् तत्त्ववेत्ता, महान् योगी एवं महान् यज्ञ विज्ञानी ऋषि याज्ञवल्क्य का सान्निध्य, सुदुर्लभ एवं सुपावन है।