| 11. | प्राणादि चतुर्दश अन्नमय कोशे यदा वर्तन्ते तदा
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| 12. | यदा प्राज्ञो विरमते तदा सघ: प्रणश्यति।।
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| 13. | म धु रकोमलकान्तपदावली शृणु तदा जयदेव सरस्वतीम्।
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| 14. | यदा करोति तदा मनोमय कोश इत्युच्यते ।
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| 15. | शुक्लपक्षे समग्रे तु तदा सूर्योदये सति ।।
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| 16. | वामांगमायामि तदा त्वदीयं जगाद कन्या वचनं चतुर्थकम्।।
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| 17. | शुक्ल पक्षे समग्रं तु तदा सूर्योदये सति॥
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| 18. | वामांगमायामि तदा त्वदीयं जगाद कन्या वचनं पंचमम्।।
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| 19. | वामांगमायामि तदा त्वदीयं जगाद कन्या वचनं तृतीयम्।।
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| 20. | उपाध्यायं तदा S स्मार्षं समस्प्राक्षं च सम्मदम्।।
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