२. तद्धित प्रत्यय:-वे प्रत्यय जो किसी संज्ञा,सर्वनाम या विशेषण के साथ जुड़ कर अर्थ में परिवर्तन ला देते है,
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कृत प्रत्यय और तद्धित प्रत्यय में अंतर कृत प्रत्यय-जो प्रत्यय धातु या क्रिया के अंत में जुड़कर नया शब्द बनाते हैं कृत प्रत्यय कहलाते हैं।
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अध्याय 18 कृत प्रत्यय और तद्धित प्रत्यय में अंतर कृत प्रत्यय-जो प्रत्यय धातु या क्रिया के अंत में जुड़कर नया शब्द बनाते हैं कृत प्रत्यय कहलाते हैं।
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इसका समाधान यदि यह करें कि जिस तरह कई तद्धित प्रत्यय खास ‘ अन्त ' वाले या खास शब्दों के साथ विहित हैं, उसी प्रकार ये लिंग-प्रत्यय खास लिंग के साथ विहित हैं।
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उदाहरणस्वरूप-मध्यसर्ग-आ (चलाचल); उपसर्ग-बि (बिकल), स (सजल, सपूत), सु (सुबास), अ (अजान), निपात-हे, अहे, हो, अहो, ए, ए हो, अरे, रे, ए रे, अरे ए; तद्धित प्रत्यय-वन्त (रूपवन्त), आई (तरनाई), आपो (मोटापो) इत्यादि ।
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उदाहरणस्वरूप-मध्यसर्ग-आ (चलाचल) ; उपसर्ग-बि (बिकल), स (सजल, सपूत), सु (सुबास), अ (अजान), निपात-हे, अहे, हो, अहो, ए, ए हो, अरे, रे, ए रे, अरे ए ; तद्धित प्रत्यय-वन्त (रूपवन्त), आई (तरनाई), आपो (मोटापो) इत्यादि ।