इस आयत से कुछ लोगों ने मुर्दों के न सुनने को साबित किया है मगर यह तर्क सही नहीं है क्योंकि यहाँ मुर्दों से मुराद काफ़िर हैं जो दुनियावी ज़िन्दगी तो रखते हैं मगर नसीहत से फ़ायदा नहीं उठाते इसलिये उन्हें मुर्दों से मिसाल दी गई है जो कर्मभूमि से गुज़र गए और वो नसीहत से लाभ नहीं उठा सकते.