| 11. | इसलिए तामसी व्यक्ति भोजन करके ही सुस्त होने लगेगा।
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| 12. | हम स्वभाव से ही तामसी होते जा रहे हैं..
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| 13. | सात्त्विकी राजसी चैव तामसी चेति तां शृणु ॥१७-२॥
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| 14. | न विमुञ्चति दुर्मेधा धृतिः सा पार्थ तामसी ॥१८-३५॥
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| 15. | कहीं कहीं मास मदिरा तामसी भोजन का
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| 16. | कि है तामसी जिन का सम्पूर्ण मानस
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| 17. | अतः तामसी औषधिओं का भी उल्लेख है।
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| 18. | सिंहा व्याधा वराहश्च मध्यमा तामसी गति ।।
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| 19. | सात्विक, राजसी और तामसी प्रकृति का होता है ।
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| 20. | तामसी भोजन-तुच्छ रोग, मौत का साया ।
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