उस मोर ने २ ७ हाथ की दूरी पर एक साँप को उपर्युक्त बिल की ओर आते हुए देखा और तिरछी चाल से उसकी ओर झपटा।
12.
ये भी किसी श्लोक में कुछ कुछ-मोर की तिरछी चाल और अंगूठे के गुणक की बात है (मुझे याद नहीं है किसी से सुना था).
13.
पिताम्बरी ओढा करता है कनेर का फूल लगाया करता है अधरों पर बांसुरी को सजाया करता है अपनी तिरछी चाल से सबको लुभाया करता है देख तो सखी निर्मोही! मेरा श्याम कितने रंग बदलता है
14.
या वो गले में लिपटे अपने स्कार्फ से... ब्राउन जैकेट से... रंग-बिरंगी कैप से.... तिरछी चाल से.... या अपनी साठ-सत्तर के दशक वाली इमेज से पीछा छुड़ाने के मूड में कतई नहीं थे......