तिर्यकदृष्टि का प्रत्यक्ष सम्बन्ध सफ़ेद पित्रैक से है और यह अन्तः संयोग का कोई अलग परिणाम नहीं है. [25][26][27] सफ़ेद बाघों के नारंगी शावकों में तिर्यकदृष्टि के लक्षण नहीं होते हैं.
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तिर्यकदृष्टि का प्रत्यक्ष सम्बन्ध सफ़ेद पित्रैक से है और यह अन्तः संयोग का कोई अलग परिणाम नहीं है. [25][26][27] सफ़ेद बाघों के नारंगी शावकों में तिर्यकदृष्टि के लक्षण नहीं होते हैं.
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की वजह से फोवियल हाइपोप्लेसिया (सामान्य फोविया के विकास में विफलता) का परिणाम भुगतना पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप एक्सेंट्रिक फिक्सेशन (उत्केंद्री स्थिरीकरण) और कम दृश्य तीक्ष्णता और अक्सर तिर्यकदृष्टि के एक लघु स्तर का परिणाम देखना पड़ता है.
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इस विकृत आरपीई (RPE) की वजह से फोवियल हाइपोप्लेसिया (सामान्य फोविया के विकास में विफलता) का परिणाम भुगतना पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप एक्सेंट्रिक फिक्सेशन (उत्केंद्री स्थिरीकरण) और कम दृश्य तीक्ष्णता और अक्सर तिर्यकदृष्टि के एक लघु स्तर का परिणाम देखना पड़ता है.
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भारत के बाहर, सफ़ेद बाघों की आंखें तिरछी हुआ करती हैं, जिसे तिर्यकदृष्टि कहते हैं, यह “क्लारेन्स द क्रॉस्ड-आईड लॉयन” की एक मिसाल है,[24] ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि सफ़ेद बाघों के दिमाग में दृश्य पथों की त्रुटिपूर्ण जमघट लगी रहती है.
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चूंकि तिर्यकदृष्टि का मामला शायद ही कभी सामने आता है और शायद इसका सम्बन्ध सफ़ेद रंगत वाले पित्रैक से होता है, इसलिए इस बात की सम्भावना है कि आगे चलकर यह चयनात्मक संयोग द्वारा कम या यहां तक कि समाप्त हो जाए.”
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भारत के बाहर, सफ़ेद बाघों की आंखें तिरछी हुआ करती हैं, जिसे तिर्यकदृष्टि कहते हैं, यह “क्लारेन्स द क्रॉस्ड-आईड लॉयन” की एक मिसाल है, ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि सफ़ेद बाघों के दिमाग में दृश्य पथों की त्रुटिपूर्ण जमघट लगी रहती है.
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चूंकि तिर्यकदृष्टि का मामला शायद ही कभी सामने आता है और शायद इसका सम्बन्ध सफ़ेद रंगत वाले पित्रैक से होता है, इसलिए इस बात की सम्भावना है कि आगे चलकर यह चयनात्मक संयोग द्वारा कम या यहां तक कि समाप्त हो जाए.”