दरअसल परमाणु ऊर्जा की पूरी बहस तथाकथित विकास के राष्ट्रीय एवं वैश्विक चरित्र के अनुकूल है जहाँ अति तीव्र ऊर्जा माँग तीव्र मशीनीकरण के उस उद्योग की जरूरत है जो मनुष्य के विकास को नहीं वरन् वर्तमान पूँजीवादी विश्व द्वारा सारे आर्थिक क्रियाकलाप को मुनाफे की अधिकतम पैदावार एवं संकेन्द्रण के रूप में व्याख्यायित करती है।
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करुणा-प्रकृति के प्रतीकों ने, अपनी तीव्र ऊर्जा के कारण रहस्यमयी उपचार करने के अतिरिक्त, प्रेम और मित्रता, स्वाभिमान में वृद्धि, भावनात्मक संतुलन को फिर से कायम करना, कर्म का त्याग करना, जागरूकता और शुद्धता में वृद्धि करना, चक्रों को एकरूप बनाना, हमारे अस्तित्व के बारे में स्पष्टता प्रदान करना और शांति और परम शांति की रचना करना, जैसे गुणों को भी विकसित किया।