जब तक मेरी अपनी बरसात नहीं आती में भीग रहा हूँ, सौन दी झड़ी विच, लट्ठे दी चादर ओढ़े, और कात रहा हूँ परीता नाल चरखा चन्दन दा....आप भी गाईये मेरे साथ, तूतक तूतक तूतिया, दही जमा लो!
12.
क्या रात में दिखाई दे रहे वे सारे काले भयावह पेड जो किसी भूत की आकृति का आभास देते हैं और जिनसे डर कर मेरे अन्दर समाने की उसकी बाल-चंचल चेष्ठा, या कहीं दूर किसी गांव से आ रही हवा के साथ हिलौरे खाती तूतक तूतक तूतिया......
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क्या रात में दिखाई दे रहे वे सारे काले भयावह पेड जो किसी भूत की आकृति का आभास देते हैं और जिनसे डर कर मेरे अन्दर समाने की उसकी बाल-चंचल चेष्ठा, या कहीं दूर किसी गांव से आ रही हवा के साथ हिलौरे खाती तूतक तूतक तूतिया......
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आप एच एम वी में जाके पूछो ना॰ फ़िर मैने पूछा-अच्छा आपके पास वो गाना है॰चूतक चूतक चूतिया॰? वो हंसने लगा॰अरे! ये क्या बोलता॰चूतक चूतक नही तूतक तूतक्॰ लेकिन ये तो नया गाना है तुम्हारा भाई क्या करेगा इसका? भाई को नही॰ ये तो मुझे चाहिये।
15.
जिस प्रकार हाथी की सारी शोभा उसके गंडस्थल में केंद्रीभूत होती है, किले की संपूर्ण शोभा उसके गजेन्द्र-भव्य बुर्ज में होती हैं, जहाज की शोभा उसके तूतक (ऊपर के डेक) में परिपूर्ण होती है, उसी प्रकार मनोरा के जिस छोर पर किले के समान जो दीवारें खड़ी हैं उनके कारण यह टापू यहां विशेष रूप से शोभा पाता है;
16.
रेशमा कौन? अरे वही सेल गर्ल्॰ अच्छा तो उसका नाम रेशमा है॰ मै उसके पास पहुंचा-रेशमा॰वो पोप भन्ग्ड़ा है आपके पास्॰तूतक तूतक तूतिया॰ वो मेरी तरफ़ देख कर बोली-मेरा नाम किसने बताया आपको? चन्दू साब ने॰ कौन चंदू साब? वो जो काउंटर पे बैठे हैं अरे वो तो मेहता साब हैं अच्छा मुझे मालूम नही था।
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क्या रात में दिखाई दे रहे वे सारे काले भयावह पेड जो किसी भूत की आकृति का आभास देते हैं और जिनसे डर कर मेरे अन्दर समाने की उसकी बाल-चंचल चेष्ठा, या कहीं दूर किसी गांव से आ रही हवा के साथ हिलौरे खाती तूतक तूतक तूतिया......जैसे फिल्मी गीत की आवाज़ का उस क्षण को रसीला बना देने के बावज़ूद सर्द रात से बचने न सोने, सुबह जल्दी होने जैसी उस अज़ीब सी बैचेनभरी स्थिति को कौन चित्रकार तूलिका दे सकता है?
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क्या रात में दिखाई दे रहे वे सारे काले भयावह पेड जो किसी भूत की आकृति का आभास देते हैं और जिनसे डर कर मेरे अन्दर समाने की उसकी बाल-चंचल चेष्ठा, या कहीं दूर किसी गांव से आ रही हवा के साथ हिलौरे खाती तूतक तूतक तूतिया......जैसे फिल्मी गीत की आवाज़ का उस क्षण को रसीला बना देने के बावज़ूद सर्द रात से बचने न सोने, सुबह जल्दी होने जैसी उस अज़ीब सी बैचेनभरी स्थिति को कौन चित्रकार तूलिका दे सकता है?