ब्राह्मण को दिया हुआ दान षड्गुणित, क्षत्रिय को त्रिगुणित, वैश्य का द्विगुणित एवं शूद्र को जो दान दिया जाता है वह सामान्य फल को देनेवाला कहा गया है।
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जीवाश्मीकृत अवशेष और समकालीन पौधे की कोशिका संरचना और आकार भी समान हैं, जो इंगित करता है कि दोनों पौधे त्रिगुणित हैं और इसीलिए त्रिगुणता की अत्यंत दुर्लभ घटना के चलते कृंतक उत्पन्न करते हैं।
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जीवाश्मीकृत अवशेष और समकालीन पौधे की कोशिका संरचना और आकार भी समान हैं, जो इंगित करता है कि दोनों पौधे त्रिगुणित हैं और इसीलिए त्रिगुणता की अत्यंत दुर्लभ घटना के चलते कृंतक उत्पन्न करते हैं।
14.
इन तीनों ग्रंथियों को श्री ब्रह्मा ने तीनों वेदों से अभिमंत्रित कर तीन धागों का यह सूत्र बनाया, श्री विष्णु ने उपासना ज्ञान द्वार इसे अभिमंतित्रत कर त्रिगुणित किया तथा रूद्र ने इसे गायत्री मंत्र द्वारा अभिमंत्रित कर ग्रंथी दी, अस्तु तीन गुणा तीन बराबर भी उत्पन्न हुए।
15.
वहाँ पर एक तांबे की परात में या कांसे की थाली में बैल का गोबर, गाय का घी, दूध, दही, तीखी धारवाला क्षुर, तीन-तीन करके त्रिगुणित सूत्र से लपेटे हुए कुशा के नौ तृणांकुरों को रख कर दक्षिणासंकल्प के साथ ब्राह्मणों को दक्षिणा देकर पोटलियों को यथावत् सुरक्षित रखने के लिए बालक के सिर पर एक कपड़ा बांध दिया जाता है।