इनमें करीब ३ ०० ईपू कात्यायान रचित वार्तिक, १ ५ ० ईपू पतंजलि रचित महाभाष्य, भर्तृहरि की त्रिपादी व १ ४ ०० ई ० मे भट्टोजी दीक्षित रचित काशिका वृत्ति आदि प्रमुख है।
12.
ऊपर वीभत्स रस, मध्य में करुण रस और भीतर अंतिम छोर पर रौद्र रस का त्रिपादी कथारस इस कौशल से प्रवाहित हुआ है कि सहृदय सामाजिक का हृदय अभीप्सित साधारणीकरण तक सहज ही पहुँच जाता है।