समावयवता प्रधानतया दो प्रकार की होती है: एक को संरचना समावयवता (Structural isomerism) और दूसरे को त्रिविम समावयवता (Stereo-isomerism) कहते हैं।
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इस प्रकार की त्रिविम समावयवता केवल कार्बनिक यौगिaकों में ही नहीं पाई गई हैं, वरन् नाइट्रोजन, फ़ॉस्फ़ोरस, आर्सेनिक, गंधक और सिलिकन आदि के यौगिकों में भी पाई गई है।
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इस प्रकार की त्रिविम समावयवता केवल कार्बनिक यौगिaकों में ही नहीं पाई गई हैं, वरन् नाइट्रोजन, फ़ॉस्फ़ोरस, आर्सेनिक, गंधक और सिलिकन आदि के यौगिकों में भी पाई गई है।
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इनकी व्याख्या के लिए जो सिद्धांत प्रतिपादित हुआ है, उसे त्रिविम समावयवता का सिद्धांत कहते हैं और इससे रसायन की एक नई शाखा की नींव पड़ी है, जिसे त्रिविम रसायन कहते हैं ।
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इनकी व्याख्या के लिए जो सिद्धांत प्रतिपादित हुआ है, उसे त्रिविम समावयवता का सिद्धांत कहते हैं और इससे रसायन की एक नई शाखा की नींव पड़ी है, जिसे त्रिविम रसायन कहते हैं ।
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इनकी व्याख्या के लिए जो सिद्धांत प्रतिपादित हुआ है, उसे त्रिविम समावयवता का सिद्धांत कहते हैं और इससे रसायन की एक नई शाखा की नींव पड़ी है, जिसे त्रिविम रसायन कहते हैं ।