आगाज़ के दौरान, एक शोध-छात्र द्वारा फैज़ अहमद फैज़ की ये नज़्म बड़े ही त्रुटिपूर्ण ढंग से पढ़ी गई, लेकिन इसका पाठ सौ खून भी माफ़ कराने के लिए काफ़ी था क्योंकि ये फैज़ की रचनाओं में ‘
12.
कदाचित कागज संख्या 7अ / 1 को ही नकल हिन्दी तहरीर वादी उल्लिखित करते हुए अवर न्यायालय के वाद लिपिक के द्वारा उसे कागज संख्या-6 पर दर्ज कर दिया है और त्रुटिपूर्ण ढंग से फर्द सूची के क्रम संख्या-7 पर नक्शा नजरी उल्लिखित कर दिया है।
13.
हिन्दी यहाँ पर अपने स्वरूप और विकास में उसके बोलने वालों की योग्यता और ज्ञान, रेडियो और टेलिविजन के उपग्रहों से प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों और अत्यल्प तथा त्रुटिपूर्ण ढंग से कराये गये अनुवादों के द्वारा परिचालित होती है, भौगोलिक कारणों से नहीं ।
14.
यदि राजस्व अभिलेखों में प्रतिवादी का नाम दर्ज है तो ऐसे प्रतिवादी के खिलाफ सिविल न्यायालय में निषेधाज्ञा का वाद दायर नहीं किया जा सकता है साथ ही साथ यदि वादी ऐसी घोषणा का अनुतोष चाहता है कि वह विवादित भूमि का तनहा काश्तकार है और प्रतिवादी का नाम राजस्व अभिलेखों में त्रुटिपूर्ण ढंग से दर्ज है।