चिरकालिक ऐटोपिक त्वचाशोथ से ग्रसित रोगियों में परिसर्प-विषाणु के संक्रमण के परिमंस्वरूप सम्पूर्ण विसर्पीय क्षेत्रों में सरल परिसर्प फ़ैल सकता है. [9]:373
त्वचाशोथ विश्व में सभी जगह, विशेषतया गरम, आर्द्र और उद्योग प्रधान देशों में तथा सभी उम्र के लोगों में हुआ करता है।
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यह प्रभाव त्वचा को अत्यंत कोमल और सुग्राही बनाकर छाजन (eczema), या त्वचाशोथ (dermatitis), अथवा पित्ती (urticaria) का रूप धारण कर लेता है।
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अत्यधिक पपड़ी का बनना सेबोरॉइक त्वचाशोथ, सोरियेसिस, फफूंद संक्रमण या सिर से जूँ निकालने के दौरान पड़ी के खरोंचों के कारण भी हो सकता है।
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अत्यधिक पपड़ी का बनना सेबोरॉइक त्वचाशोथ, सोरियेसिस, फफूंद संक्रमण या सिर से जूँ निकालने के दौरान पड़ी के खरोंचों के कारण भी हो सकता है।
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स्थानीय त्वचाशोथ, फुफ्फुसशोथ, रक्तहीनता (प्रबल एवं प्रगतिशील लौहहीनता जन्य) और तत्कारण शरीर में सूजन, आशयों में जल, हृदय और यकृत का वसीय विघटन आदि होते हैं।
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स्थानीय त्वचाशोथ, फुफ्फुसशोथ, रक्तहीनता (प्रबल एवं प्रगतिशील लौहहीनता जन्य) और तत्कारण शरीर में सूजन, आशयों में जल, हृदय और यकृत का वसीय विघटन आदि होते हैं।
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पदार्थ जो त्वचा के संपर्क में आते हैं जैसे कि दूध भी संपर्क त्वचाशोथ या खाज के रूप में ज्ञात प्रत्यूर्ज प्रतिक्रियाओं के सामान्य कारण हैं।