किसी दंत्य कार्य, जिसमें मुंह के नर्म ऊतकों का दुर्घटनावश अपघर्षण आम है, के बाद भी इन छालों का उत्पन्न हो जाना आम होता है.
12.
बर्मी में वर्ग के तृतीय एवं चतुर्थ अक्षरों का समान उच्चारण तथा मूर्धन्य एवं दंत्य वर्गों के अक्षरों का भी समान रूप से उच्चारण होता है।
13.
स्वर, कंठस्थ व्यंजन, तालव्य व्यंजन, मूर्धन्य व्यंजन, दंत्य व्यंजन, ओष्ठ्य व्यंजन, अन्तःस्थ व्यंजन, ऊष्म व्यंजन, व अन्य व्यंजन।
14.
स्वर, कंठस्थ व्यंजन, तालव्य व्यंजन, मूर्धन्य व्यंजन, दंत्य व्यंजन, ओष्ठ्य व्यंजन, अन्तःस्थ व्यंजन, ऊष्म व्यंजन, व अन्य व्यंजन।
15.
बर्मी में वर्ग के तृतीय एवं चतुर्थ अक्षरों का समान उच्चारण तथा मूर्धन्य एवं दंत्य वर्गों के अक्षरों का भी समान रूप से उच्चारण होता है।
16.
बाबा के अलावा मेरे गुरु कल्लर पाठक ने कभी भी तालव्य, या दंत्य के आधार पर श या स या ष का उच्चारण करना नहीं सिखाया ।
17.
ये ध्वनियां हैं-फ़द्वयोष्ठ्य संघर्षी व्यंजन स्वनिम / ङ्/, ज़ जो कि दंत्य ध्वनि स का ही सघोष रूप है/ॅ/और कंठ्य ध्वनियां ख़/द्/अघोष कंठ्य संघर्षी, और इसी का सघोष ध्वनि रूप ग़.
18.
ये ध्वनियां हैं-फ़द्वयोष्ठ्य संघर्षी व्यंजन स्वनिम / ङ्/, ज़ जो कि दंत्य ध्वनि स का ही सघोष रूप है/ॅ/और कंठ्य ध्वनियां ख़/द्/अघोष कंठ्य संघर्षी, और इसी का सघोष ध्वनि रूप ग़.
19.
इसकी विशेषता यह है कि ह्रस्व ए, ओ, दंत्य च, ज़ एवं शकट रेफ नाम से एक अधिक “र” के अतिरिक्त अर्धबिंदु और “ळ” भी इस भाषा में है।
20.
इसकी विशेषता यह है कि ह्रस्व ए, ओ, दंत्य च, ज़ एवं शकट रेफ नाम से एक अधिक “र” के अतिरिक्त अर्धबिंदु और “ळ” भी इस भाषा में है।