मास्साब का शहर में यूं भी जलवा था कि ' गंगोत्री चिकित्सालय' नाम से वे एक आयुर्वेदिक, यूनानी दवाख़ाना चलाते थे. गंगाप्रसाद 'गंगापुत्र' आकंठ गंगाग्रस्त थे और हर पीरियड में अपने महाग्रंथ से हमारी ऐसीतैसी किया करते.
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मास्साब का शहर में यूं भी जलवा था कि ' गंगोत्री चिकित्सालय ' नाम से वे एक आयुर्वेदिक, यूनानी दवाख़ाना चलाते थे. गंगाप्रसाद ' गंगापुत्र ' आकंठ गंगाग्रस्त थे और हर पीरियड में अपने महाग्रंथ से हमारी ऐसीतैसी किया करते.
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ढेरों रेलगाड़ि यां बदलकर, अंधी गलियां और अंधेरे शहरों में मुसाफ़ि र होकर, दवाख़ाना, चायघर और किताब की दुकानों और सिनेमाघरों की पिछवाड़े की गली में हाथ नचाकर ज़ि रह करते अपनी सांसों को हम / धीमे-धीमे, रफ्ता-रफ्ता..
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दूसरी ओर तमाम धनाढ्यों की अयोग्य संतानें मात्र अपने धन के बलबूते पर डॉक्टरी का प्रमाण पत्र लिए पूरे देश मे घूमते फिर रही हैं तथा अपना निजी नर्सिंग होम अथवा दवाख़ाना चलाकर मरीज़ों से अपनी खर्च की गई रकम बेदर्दी से वसूलने पर तुली हुई हैं।
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ज़ राए के मुताबिक़ इस दवाख़ाना में मरीज़ों की अक्सरियत बाहर से पानी खरीद कर पी रहे हैं और इस बारे में जब मुताल्लिक़ा वार्डन या अमला से सवाल करते हैं तो वो अपनी मजबूरी ज़ाहिर करते हुए कहते हेंका वो ख़ुद भी बाहर का पानी पीने पी रहे हैं।
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जबकि दवाख़ाना से बाहर पानी का बॉटल खरीदने पर दस ता बारह रुपये का बॉटल मरीज़ों को 13 ता 15 रुपये में खरीदना पड़ रहा है, बावसूक़ ज़राए ने बताया कि मिनरल वाटर की लोकल कंपनियां और दवाख़ाना ईनेतज़ामिया के दरमियान मिली भगत की वजह से दवाख़ाना में पीने के पानी का माक़ूल इंतिज़ाम करने से हमेशा गुरेज़ किया जाता रहा है ।
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जबकि दवाख़ाना से बाहर पानी का बॉटल खरीदने पर दस ता बारह रुपये का बॉटल मरीज़ों को 13 ता 15 रुपये में खरीदना पड़ रहा है, बावसूक़ ज़राए ने बताया कि मिनरल वाटर की लोकल कंपनियां और दवाख़ाना ईनेतज़ामिया के दरमियान मिली भगत की वजह से दवाख़ाना में पीने के पानी का माक़ूल इंतिज़ाम करने से हमेशा गुरेज़ किया जाता रहा है ।
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जबकि दवाख़ाना से बाहर पानी का बॉटल खरीदने पर दस ता बारह रुपये का बॉटल मरीज़ों को 13 ता 15 रुपये में खरीदना पड़ रहा है, बावसूक़ ज़राए ने बताया कि मिनरल वाटर की लोकल कंपनियां और दवाख़ाना ईनेतज़ामिया के दरमियान मिली भगत की वजह से दवाख़ाना में पीने के पानी का माक़ूल इंतिज़ाम करने से हमेशा गुरेज़ किया जाता रहा है ।
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ख़ुसूसी रिपोर्ट) उस्मानिया दवाख़ाना जो ना सिर्फ हैदराबाद बल्कि हिंदूस्तानी सतह पर सब से क़दीम दो अक्खानो में से एक है जहां बरसों से यौमिया सैंकड़ों मरीज़ रुजू होते हैं...मगर सब से अफ़सोसनाक पहलु ये है कि माहाना लाखों रुपये के उख़रा जा त से चलाए जाने वाले इस दवाख़ाना में सैंकड़ों मरीज़ों और अमला के लिए पीने के पानी का माक़ूल इंतिज़ाम ही नहीं है जोकि सब से बुनियादी चीज़ है।
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ख़ुसूसी रिपोर्ट) उस्मानिया दवाख़ाना जो ना सिर्फ हैदराबाद बल्कि हिंदूस्तानी सतह पर सब से क़दीम दो अक्खानो में से एक है जहां बरसों से यौमिया सैंकड़ों मरीज़ रुजू होते हैं...मगर सब से अफ़सोसनाक पहलु ये है कि माहाना लाखों रुपये के उख़रा जा त से चलाए जाने वाले इस दवाख़ाना में सैंकड़ों मरीज़ों और अमला के लिए पीने के पानी का माक़ूल इंतिज़ाम ही नहीं है जोकि सब से बुनियादी चीज़ है।