पुराण या पुरातनता को छोड़ आगे बढ़ा जाए तो क्या आप सोचते हैं कि आज के युग में भी नारी दासत्व से मुक्ति पा सकी है?
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हालांकि, भारतीय महिलाओं की दासत्व से मुक्ति और सामाजिक बुराइयों को मिटाने के साथ-साथ अस्पृश्यता को भी धीरे-धीरे कानून और समाज सुधार के माध्यम से समाप्त कर दिया गया.
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हालांकि, भारतीय महिलाओं की दासत्व से मुक्ति और सामाजिक बुराइयों को मिटाने के साथ-साथ अस्पृश्यता को भी धीरे-धीरे कानून और समाज सुधार के माध्यम से समाप्त कर दिया गया.
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हालांकि, भारतीय महिलाओं की दासत्व से मुक्ति और सामाजिक बुराइयों को मिटाने के साथ-साथ अस्पृश्यता को भी धीरे-धीरे कानून और समाज सुधार के माध्यम से समाप्त कर दिया गया.
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विगत 6 दशक से इस देश में अंग्रजो के दासत्व से मुक्ति के पश्चात् इस समाज को खड़े होने के जो अवसर पहले नहीं मिल पा रहे थे मिलने लगे, इस पर प्रगतिशीलता और विकास के आधुनिक मार्ग पर चलने का नारा समाज को ग्राह्य लगना स्वाभाविक है!
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फिर आगे चल कर चार्ल्स ११ ने जमींदारी समाप्त करते हुए सम्पदा स्वीडिश क्राउन को सौंपते हुए प्रभावी रूप से धरतीपुत्रों को दासत्व से मुक्ति दिलाई और उन्हें करदाता किसान बनाया! १ ६ ३ २ में प्रिंटिंग प्रेस एवं विश्वविद्यालय की स्थापना हुई डोर्पट में (डोर्पट को ही आज टार्टू के रूप में जाना जाता है).