तंग करना मुहावरा पर गौर करें जिसकी भावभूमि भी दिक करना जैसी ही है।
12.
वाले गृह के द्वार पर बड़ी भीड़ हो गयी और लोगों ने द्वारपालों को दिक करना
13.
प्रणाम किया, पूजा-पाठ किया लेकिन इसक उपहार यही मिला कि लड़कों ने उसे और भी दिक करना शुरु किया।
14.
आह ये भाषा. दिक करना, ठिसुअना.... और भी कई. और ये तथा इस जैसे अन्य expressions: ठिसुआये मुँह बैरंग वापस ।
15.
दुलखना, आनगांव, तुफंगा, छलना, छिनभंगी, फजीता, शीतलपाटी, नखतौरे तोडना, छूंछी, अधीर जी, बिराना, जुज्बी, उलभला लेना, हिलंदे, मरभुखी, बुरज, पदीलना, हितू, बिथरना, तिनगकर, हिजों करवाना, फारखती, पारसाल, दिक करना जैसे शब्द वनमाली जी की भाषा को अलग रंगत अलग खूशबू प्रदान करते हैं।
16.
बात यह है कि जब दुर्योधन बड़ी-बड़ी कीमती नजरें लेते-लेते कुछ तो परिश्रम और कुछ भीतरी जलन से थक गया और फलत: उसका हाथ रुक गया तो नजरवाले गृह के द्वार पर बड़ी भीड़ हो गई और लोगों ने द्वारपालों को दिक करना और पूछना शुरू कर दिया कि हम लोग कब तक यहीं बाहर ही खड़े रहेंगे, भीतर जाने क्यों नहीं देते हो? तो उन्होंने सबको सुना दिया कि अपनी-अपनी पारी आने पर बाहर ही नजरें दे कर आप लोग भीतर जाने पावेंगे, यह महाराज युधिष्ठिर की आज्ञा है: