डॉ पी नीलकंठन, डॉ एस आर वल्लूरी, प्रो।आर नरसिंहा, डॉ के एन राजू डॉ टी एस प्रह्लाद और डॉ बी आर पै जैसे पूर्व निदेशकों की दीर्घ दृष्टि एवं प्रतिबद्धता के कारण ही इसका विकास संभव रहा ।
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भविष्य सम्हाल लेने के लिए भगवान के पास दीर्घ दृष्टि और प्रेम है, और भूतकाल को भुला देने के लिए उसके पास क्षमा भी है, परंतु जो वर्तमान-काल भगवान ने हमारे हाथ में रखा है, उसे संभालकर अपना जीवन-कार्य तो हमें ही सिद्ध करना है।
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एनएएल की शुरुआत 1959-60 में बेंगलूर के पूर्व महाराजा के महल में हुई| डॉ पी नीलकंठन, डॉ एस आर वल्लूरी, प्रो.आर नरसिंहा, डॉ के एन राजू डॉ टी एस प्रह्लाद और डॉ बी आर पै जैसे पूर्व निदेशकों की दीर्घ दृष्टि एवं प्रतिबद्धता के कारण ही इसका विकास संभव रहा |
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श्री जयप्रकाश मानस जी, छत्तीसगढ क्षेत्र से न सिर्फ हिन्दी सेवा मैं संलग्न हैं परंतु, वैश्विक, अंतर्जालीय गतिविधियोँ पर भी उनकी पकड़ है और नजर दीर्घ दृष्टि लिये, छानबीन करती रहती है और वे अन्य पाठकों के साथ, अपनी जानकारी को सहर्ष बाँट भी रहे हैं-उनके सृजन गाथा परिवार के हर माह प्रकाशित होते सशक्त स्वर के जरीये-देखियेगा यह लिंक-http://www.srijangatha.com/ मेरा जाल घर भी है-अवश्य देखियेगा-http://antarman-antarman.blogspot.com/ (आपकी टिप्पणी के लिये अग्रिम आभार!)