दुःखांत नाटकों में प्रारंभिक काल की रचना ' रोमियो ऐंड जूलिएट' में नायक-नायिका की मृत्यु के बावजूद पराजय का स्वर नहीं है।
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इस काल में अतुकांत छंदों में भी दुःखांत नाटक लिखे गए और उनमें हिरोइक ट्रैजेडी की अपेक्षा नाटककारों को अधिक सफलता मिली।
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इस काल में अतुकांत छंदों में भी दुःखांत नाटक लिखे गए और उनमें हिरोइक ट्रैजेडी की अपेक्षा नाटककारों को अधिक सफलता मिली।
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शेक्सपियर के परवर्ती वेब्स्टर, टर्नर, मिडिलटन, मास्टर्न चैपमैन, मैसिंजर और फोर्ड के दुःखांत नाटकों में व्यक्तिवाद अस्वाभाविक महत्वाकांक्षाओं, भयंकर रक्तपात और क्रूरता, आत्मपीड़ा और निराशा में प्रकट हुआ।
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शेक्सपियर के परवर्ती वेब्स्टर, टर्नर, मिडिलटन, मास्टर्न चैपमैन, मैसिंजर और फोर्ड के दुःखांत नाटकों में व्यक्तिवाद अस्वाभाविक महत्वाकांक्षाओं, भयंकर रक्तपात और क्रूरता, आत्मपीड़ा और निराशा में प्रकट हुआ।
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यहीं से एक भयंकर अपमान, यंत्रणा और दुःखांत की सृष्टि होती है, जिससे वह अपनी सारी गर्जनाओं के बाद भी मुक्त नहीं हो पाता और मारा जाता है।
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इसी समय भावी विकास की दृष्टि से महत्वपूर्ण पारिवारिक समस्यामूलक दुःखांत नाटकों में सबसे प्रसिद्ध फ़ आर्डेन ऑव फीवरशैमफ़ (1592) है, जो लिखा पहले गया था पर प्रकाशित पीछे हुआ।
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इसी समय भावी विकास की दृष्टि से महत्वपूर्ण पारिवारिक समस्यामूलक दुःखांत नाटकों में सबसे प्रसिद्ध फ़ आर्डेन ऑव फीवरशैमफ़ (1592) है, जो लिखा पहले गया था पर प्रकाशित पीछे हुआ।
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इसलिए इस युग में दो तरह के नाटकों का उदय और विकास हुआ-एक, ऐसे नाटक जिनकी फ़ हिरोइकफ़ दुःखांत कथावस्तु दरबारियों की रुचि के अनुकूल फ़ प्रेमफ़ और फ़ आत्मसम्मानफ़ थी;
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इसलिए इस युग में दो तरह के नाटकों का उदय और विकास हुआ-एक, ऐसे नाटक जिनकी फ़ हिरोइकफ़ दुःखांत कथावस्तु दरबारियों की रुचि के अनुकूल फ़ प्रेमफ़ और फ़ आत्मसम्मानफ़ थी;