वही अब प्रत्येक प्रत्याषी के लिये बडे नेता भी चुनावी सभा के लिए आयेगे तो उनके लिए भी वही काम दुबारा करना पडेगा लोागो को जुटाना और भीड मे भोजन के पैकेठ वितरित करना पडेगाा लिहाजा उस दिन ही 5 लाख तो खर्च होना मामुली बात है!
12.
समीर भाई, मैं एक टिप्पणी दुबारा करना चाहता हूँ, करूँ? ब्लागवाणी का यह निर्णय किन्हीं निहित तत्वों के मँसूबों को फलीभूत कर रहा है, बल्कि होना तो यह चाहिये था कि, इनकी अवहेलना कर इस पर तुषारापात किया जाये, ऎसा तभी सँभव है, यदि यह टीम अपने फैसले पर पुनर्विचार कर कुछ कड़े तेवर के साथ प्रकट हो ।