अब आपकी टीम को हर मानवीय समस्या या विडम्बना को हठात् दो फाड़ में चीर करके देखने की सार्थकता पर दुबारा सोचना चाहिए।
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इस फैसले के बाद सरकार को दुबारा सोचना होगा कि वहक्या कदम उठाये? बिहार, तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश के प्रेस विधेयकों का हाल सबदेख चुके हैं.
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पंजाब में अगर किसी को बात समझ में ना आए तो बोला जाता है ' मैं पश्तो तो नहीं बोल रहा ' पठानकोट पर दुबारा सोचना पड़ेगा.
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पर हमने संकुचित विचारों पर गर्व करने या न करने के बारे में दुबारा सोचना चाहिए, तीसरी बार भी सोचना चाहिए, नहीं तो चीन और पाक का संकट कभी भी हावी होगा.
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अंशुमाली जी ने कहा कि “ गालियां सभ्य समाज का द्योतक हैं, गालियों को इंज्वाए करें ” मैं उनसे पूछता हूँ कि क्या वे इन गालियों को अपने घर में भी इंज्वाए करते हैं? यदि नही तो उनको दुबारा सोचना होगा अपनी बात पर ।
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“जिंदगी न मिलेगी दुबारा” पर, अर्थात इस 'पश्चिमी' सोच पर, दुबारा सोचना चाहेगा कोई कोई शायद, विशेषकर 'ह्न्दु'! क्यूंकि मान्यता है कि साकार रूप (पिंड) शक्ति (आत्मा) और 'मिटटी' अर्थात नवग्रह के सारों के योग का नतीजा है-भले ही वो सूक्ष्म जीव हो, अथवा कोई बड़ा सितारा...
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चाहे वो-दर्शक सामान देखती है दुकान नहीं, मेरे अलावा सब शरीफ है यहाँ, तुम रातो का वो राज हो,जिसे दिन में कोई नहीं खोलता है,हमेशा से मर्दों का जमाना रहा है और औरतो ने आफत की है,जब उपरवाला जिंदगी एक बार देता है तो दुबारा सोचना क्या, कुछ लोगो का नाम उसके काम से होता है, मेरा बदनाम हो कर हुआ.
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“ जिंदगी न मिलेगी दुबारा ” पर, अर्थात इस ' पश्चिमी ' सोच पर, दुबारा सोचना चाहेगा कोई कोई शायद, विशेषकर ' ह्न्दु '! क्यूंकि मान्यता है कि साकार रूप (पिंड) शक्ति (आत्मा) और ' मिटटी ' अर्थात नवग्रह के सारों के योग का नतीजा है-भले ही वो सूक्ष्म जीव हो, अथवा कोई बड़ा सितारा...
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बीच के उस युग को याद कर रहा हूँ, जी हाँ, यकीन मानिए जनाब, कंप्यूटर में एक साल को भी आप एक युग मान कर चल सकते हैं, जब मोबाईल तकनीक बाजार में अपने वजूद को लेकर संघर्ष में थी और कंप्यूटर के हार्ड डिस्क में इतनी जगह रहने लगी थी की 1 GB का साफ्टवेयर भी इंस्टाल करने से पहले दुबारा सोचना नहीं पड़ता था..
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अगर गस ओर पेट्रोल के दाम ऐसे ही बड़ेंगे तो आम जनता का क्या होगा बो कैसे अपना घर चलाएंगे हुमारे देश मे अधिकतर मध्यम वर्ग रहता है उन पर इसका कैसा एफ़्फ़ेक्ट पड़ेगा उनकी ईंकोमे तो बदती नही है, नेता लोग हैं की इतनी माहगाई कर दी नेताओं को इस पर दुबारा सोचना होगा अगर ऐसे ही माहगाई ऐसे ही बदती रही तो कैसे आम आदमी ज़िंदा रहेगा इसका जबाव दे दो बस............