“इनाम” प्रदान करता है. [105] एक स्वतंत्र सामग्री सलाहकार ने प्रियस को “विश्व में किसी भी वस्तु के दुर्लभ मृदा का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता” कहा है[106] बैटरी के पुनर्नवीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए डीलरों को कार की बैटरियों की वापसी के लिए
12.
IREL अपना व्यवसाय रेत में उपलब्ध दूसरे दुर्लभ मृदा तत्वों एवं अयस्को (rare earth metals and ores) जैसे LEUCOXENE, GARNET, RUTILE इत्यादी को निर्यात कर चलाता था जबकि इस प्रक्रिया में निकले थोरियम को DAE (Department of Atomic Energy) या उससे जुडी एजेंसियों को बेच देता था जो कुछ समय तक तो भविष्य के लिए संरक्षित की जाती रही, फिर देश में थोरियम रिएक्टर बनने के बाद उसमे आपूर्ति कि जाने लगी।
13.
भारत में 1960 के दशक में जब थोरियम के निर्यात पर प्रतिबन्ध लगा तो देश के तटवर्ती भागों में पाए जाने वाली रेत जो न केवल थोरियम बल्कि कई और दुर्लभ मृदा तत्वों (rare earth metals) जैसे TITANIUM और SILLIMANITE जैसे अयस्कों से लैस थी, जिसके पूरे प्रबंधन कि जिम्मेवारी एक सरकारी उपक्रम (IREL) के हाथों में दे दी गयी ताकि निर्यात-प्रतिबंध प्रभावी तरीके से लागू किया जा सके एवं इन संवेदनशील तत्वों पर पूरी तरह से सरकारी नियंत्रण रहे।